एक उद्यमी की तरह सोचेः अभिनय सिंह 0

Abhiney Singh

लाइक शेयर कमेंट, नॉलेज शेयरिंग के अपने उद्देश्य को सच साबित करते हुए एक ऐसे मंच के रूप में स्थापित हो रहा है जहां अलग-अलग इंडस्ट्री के विशेषज्ञ एकत्रित हो रहे हैं और अपनी जानकारियां साझा कर रहे हैं. हमारी कोशिश भी है कि शामिल होने वाली हस्तियां मीडिया, एजुकेशन, मेडिकल, सोशल सेक्टर, साहित्य एवं कला के अलावा और भी अन्य इंडस्ट्री के विशेषज्ञ हों.

इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए लाइक शेयर कमेंट के 13वें एपिसोड में हमारे मेहमान थे युवा शिक्षाविद श्री अभिनय सिंह. ब्राइटन इंटरनेश्नल स्कूल के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री अभिनय प्रदेश के उन चुनिंदा एंटरप्रेन्योर में से हैं जिन्होंने अपनी अच्छी खासी सैलरी और प्रोफाइल की कॉर्पोरेट जॉब को छोड़कर स्कूल इंडस्ट्री में आने का फैसला किया और अपनी कड़ी मेहनत, लगन तथा इनोवेटिव आइडिया की बदौलत एक ऊंचा मुकाम हासिल किया. पिछले कुछ सालों में अभिनय ने अपनी पहचान एक एजुकेशन ब्लॉगर के रूप में बनाई है. देशभर के लोग उनकी ब्लॉग पढ़ते हैं और उसमें शेयर की गई जानकारियों से बहुतों को लाभ मिल रहा है. अपनी बातचीत के दौरान अभिनय ने कई मुद्दों पर चर्चा की विशेष रूप से उद्यमिता पर यानी एन्टरप्रेन्योरशिप पर. आइए आप भी पढ़िए इस बातचीत के अंश…

Abhiney Singh

वर्चुअल रियलिटी ही अब एक्चुअल रियलिटी है

अब हमारा बहुत सा वक्त डिजिटल प्लेटफार्म पर गुज़रने लगा है. लंदन में हुए एक सर्वे के हिसाब से एक बच्चा रोज़ाना औसतन 6 घंटे स्क्रीन देखता है. स्क्रीन यानी मोबाइल, कम्प्यूटर, टैब, टीवी वगैरह. हम अब फेसबुक, ट्वीटर, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम जैसे कई सोशल साइट्स में अपना समय बिताने लगे हैं. इसके अलावा अब टीवी भी ऑनलाइन हो चुका है. किसी सीरियल या न्यूज बुलेटिन को देखने के लिए जरूरी नहीं कि किसी ख़ास समय पर ही आप उसे देख पाएंगे और अगर आप नहीं देख सके तो वो आपसे मिस हो गया. आप अपने पसंदीदा प्रोग्राम बाद में कभी भी अपने सुविधानुसार यूट्यूब और नेटफ्लिक्स जैसे साइट्स पर देख सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ आज हम किसी क्लाइंट या नए व्यक्ति से मुलाकात के लिए जाते हैं तो मीटिंग से पहले हम उनकी फेसबूक प्रोफाइल और लिंक्डइन चेक करते हैं ताकि उनके बारे में बेहतर तरीके से जान सकें और इसके चलते ये हुआ है कि हमारी वर्चुअल रियलिटी ही हमारी एक्चुअल रियलिटी बन चुकी है.

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इंजीनियर से मार्केटिंग मैनेजर और फिर अब एजुकेश्निस्ट-

मेरे पिता जी पीडब्ल्यूडी में अधिकारी थे. 1960 के आखिरी में उत्तर प्रदेश से मेरे पिताजी यहां आए. उन्होंने मात्र 15 साल की सरकारी नौकरी के बाद अपनी नौकरी छोड़ दी. आर्थिक रूप से बहुत मजबूत तो नहीं थे और एक मध्यम वर्गीय परिवार की समस्याओं और सपनों के बीच मेरी परवरिश हुई. मैं एयर फोर्स ज्वाइन करना चाहता था लेकिन मेरा सलेक्शन नहीं हो सका. फिर मैंने गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और इसके बाद मुद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ कम्यूनिकेशन अहमदाबाद (MICA) से एमबीए की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद मैंने वायाकॉम18 ग्रुप के साथ काम किया और बहुत कुछ सीखा. हालांकि मैं नौकरी में बहुत अच्छा कर रहा था लेकिन 6 साल बाद मुझे लगने लगा कि मुझे अपना कुछ काम करना है. ऐसा काम जो करने का मेरा दिल चाहता है. एजुकेशन फील्ड मुझे काफी इंटरेस्टिंग लगता था. इसलिए मेरे पिता जी ने जब अपना स्कूल खोलने का निर्णय लिया तो मुझे भी लगा कि यही वह जगह है जहां मैं वो सारे क्रिएटिव काम कर सकता हूं जो मैं करना चाहता हूं. इसलिए मैं अपनी नौकरी छोड़कर मुंबई से रायपुर आ गया और ब्राइटन इंटरनेश्नल स्कूल की नींव रखी. और आज पिछले 6-7 सालों के दौरान हम लगभग 800 से ज्यादा लोगों की ऑर्गेनाइज़ेशन हो चुके हैं. लेकिन मुझे इससे ज्यादा खुशी ये देखकर होती है कि ब्राइटन एक ऐसा स्कूल है जो किसी बड़ी इंडस्ट्री या फाइनेंशियल बैक सपोर्ट के बिना शुरू हुई और आज यहां तक पहुंच पाई है.

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वक्त से पहले इंक्रिमेंट के बारे में नहीं सोचना-

आमतौर पर ये देखा जाता है कि जब हम कोई जॉब ज्वाइन करते हैं तो स्टार्टिंग में ही सैलरी की बात हो जाती है. उस वक्त कंपनी की जिन शर्तों के साथ आपने नौकरी ज्वाइन की थी उसके बाद अपने मन में सैलरी को लेकर नेगेटिव ख्याल न आने दें. अपना काम दिल से करें और ईमानदारी से करते रहें. आपको अप्रैज़ल के वक्त अपने इंक्रिमेंट की बात करनी चाहिए. अगर आप कंपनी के लिए वैल्यूएबल काम करते हैं तो यकीन मानिए आपको उसका फल मिलेगा. अगर एप्रोप्रिएट इंक्रिमेंट न मिले तब आप कंपनी बदलने के बारे में सोच सकते हैं. लेकिन आप पहले ही ये सब सोचने लगेंगे, तो आपके काम में बहुत फर्क दिखने लगेगा.

गेम अवेयरनेस बहुत जरूरी है-

आपको अपनी इंडस्ट्री, अपने प्रोफाइल और अपने काम को लेकर हमेशा अवेयर रहना चाहिए. गेम अवेयरनेस सीखने के लिए क्रिकेटर विराट कोहली सबसे अच्छे उदाहरण में से एक है. अपने आस-पास हो क्या रहा है और इसके हिसाब से हमारे मूव क्या होने चाहिए इसे लेकर हमें सतर्क रहना चाहिए, इसे ही गेम अवेयरनेस कहते हैं. ये हमेशा सकारात्मक होती है. अपनी सफलता और असफलता दोनों से सीखिए, उसका एनालिसिस कीजिए, कुछ नया ट्राई करते रहिए, अपने विरोधी को अपने निर्णय से चौंका दीजिए, ये सब गेम अवेयरनेस का हिस्सा है.

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6 महीने में अपडेट करें सीवी, अगर लगे कुछ नया नहीं किया तो छोड़ दो नौकरी-

जब मैं नौकरी करता था, तो मेरी एक बॉस ने मुझे बहुत काम की बात सीखाई. उन्होंने एक बार मुझसे कहा था कि अपने सीवी हर 6 महीने में अपडेट करना चाहिए, अगर 6 महीने बाद ये लगे कि कुछ नया नहीं सीखा, या कुछ नया नहीं किया, इसका मतलब है कि बदलाव का वक्त आ चुका है. मैंने कई बार महसूस किया कि अपने स्कूल के क्रिएटिव बनवाने के लिए मुझे डिजाइनर के पास बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. कई बार हम दोनों के खयाल नहीं मिलते थे. इससे निजात पाने के लिए मैंने खुद से फोटोशॉप सॉफ्टवेयर सीखा. बाद में वर्ड प्रेस सीखने लगा और ब्लॉग लिखने लगा. ब्लॉग में भी इन्फॉरमेंशन और नॉलेज के ही कंटेंट होते थे. धीरे-धीरे उस साइट में हजारों लोग विजिट करने लगे. और देखते ही देखते मुझे वहां से पैसे मिलने भी शुरू हो गए. तो मुझे लगता है कि आप खुद को अपडेट करें, अपनी हॉबी को शार्पन करें, पैसे अपने आप आने लगते हैं.

 

कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन जरुरी है

कॉस्ट कटिंग अलग बात है और कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन बिल्कुल अलग चीज है. इसलिए आपको अपनी कंपनी के लिए कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन करने वाला बनना चाहिए. बहुत से स्किल सीखने की कोशिश कीजिए. इससे आप ही ऑलराउंडर बनेंगे और फायदा आपकी कंपनी के साथ-साथ आपको होगा. अपने समय को ज्यादा बेहतर तरीके से इस्तेमाल कीजिए.

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धंधा कैसे आ रहा है ये जरूर जानें-

ये सोच लेना कि कोई मर्सिडीज में घूम रहा है इसका मतलब ये नहीं है कि आप ये मान लें कि उसे पैसे की कोई परेशानी नहीं होगी. पैसा सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसलिए कोई परसेप्शन बनाने से पहले आपको ये समझना होगा कि उनका धंधा आखिर चलता कैसे है. किस तरह से पैसे बनते हैं. कोई भी क्लाइंट हो, किसी भी इंडस्ट्री की बात हो, चाहे उस कंपनी की बात हो जहां आप काम करते हैं, ये जरूर समझिए कि आखिर पैसे आते कहां से हैं. क्या करना होता है धंधा लाने के लिए और उसे बनाए रखने के लिए. इससे आपको इंडस्ट्री की नब्ज पता रहेगी, जो आपके लिए ही फायदेमंद है.

और आखिर में आपनी बात खत्म करते हुए मैं ये कहना चाहता हूं कि अपने काम पर गर्व करें. चाहे आप एक टीचर हैं, सेल्स में हैं, ऑपरेशन का काम करते हैं, आप जो भी काम करते हैं उस पर गर्व करें.

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इसके साथ ही लाइक शेयर कमेंट की 13वीं कड़ी का शानदार समापन हुआ. अभिनय सिंह जी ने अपनी बातें दिल खोलकर सभी के सामने रखी. अपने प्रोफ़ेशन के साथ ही जिंदगी में बेहतर करने के लिए उनके टिप्स बहुत काम के साबित होंगे.

 

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