लाइक शेयर कमेंट की इस कड़ी में हमारे मेहमान रहे बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता भगवान तिवारी. श्री तिवारी से उनकी ज़िंदगी के उतार चढ़ाव के किस्से सुनकर एक बार फिर इस बात पे विश्वास मज़बूत हो जाता है कि यदि इंसान खुद के प्रति समर्पित और निष्ठावान हो जाए तो दुनिया की कोई भी ताकत उसके हौसले को कमज़ोर नहीं कर सकती है, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है हमारे छत्तीसगढ़ की माटी के एक होनहार नौजवान भगवान तिवारी ने. आज भगवान तिवारी एक ऐसा नाम है जिसका छत्तीसगढ़ का ही नहीं बल्कि देश का हर युवा दीवाना है, उन्होंने संघर्ष और अभावों को दरकिनार करते हुए बुलंदियों का वो इतिहास रचा है, जिससे ये साबित होता है की इंसान अगर सच्चे मन से कोई काम करे तो उसे सफलता अवश्य मिलती है. बॉलीवुड की फ़िल्मों में अपनी अभिनय प्रतिभा के दम पर एक मुकम्मल मुकाम हासिल करने वाला छत्तीसगढ़ का ये युवा नौजवान जिसने एक ऐसी मिसाल कायम की है जो वाकई काबिले तारीफ़ है. उनके हौसले और जज़्बे ने ये साबित कर दिया है की उनके अंदर अभिनय का हुनर कूट-कूट कर भरा हुआ है और उस अभिनय को तराशने के लिए उन्होंने सालों की मेहनत को उसमें झोंक दिया है, उस मेहनत और लगन का ही नतीजा है की आज भगवान तिवारी छत्तीसगढ़ के युवाओं के दिलों में राज कर रहे हैं और हर कोई उन जैसा बनने की चाहत रखता है, इस अभिनेता का जन्म छत्तीसगढ़ की माटी के एक बेहद पिछड़े इलाके में हुआ, श्री तिवारी का जन्म अविभाजित सरगुजा ज़िले के एक छोटे से रामानुजगंज नाम के पहाड़ी ग्रामीण अंचल में 2 फरवरी 1973 को हुआ था।
बचपन में श्री तिवारी के लिए एक छोटे शहर तक आना ही एक सपने जैसा था लेकिन आज देश की मायानगरी मुंबई में भी उनकी अदाकारी के चर्चे होते हैं. इन दिनों बॉलीवुड के गलियारों में भगवान तिवारी की एक्टिंग और हुनर की खूब सराहना की जा रही है।
भगवान तिवारी बचपन में अपने गांव के वीडियो हॉल में मां और पिता जी को बिना बताए छिप कर फ़िल्में देखने जाया करते थे और उनका यही शौक धीरे-धीरे उनके जुनून में तब्दील हो गया, अब उनका एक ही सपना था और वो था बॉलीवुड की फ़िल्मों में अपने अभिनय और हुनर का लोहा मनवाना. जैसे तैसे अपने सपने और जुनून को दिल में संभाले इस प्रतिभा का बचपन बीता. और फिर एक दिन ऐसा आया जब 12 वीं पास करके ये होनहार युवा भोपाल जा पहुंचा, वहीं से संघर्षों का पहला पड़ाव आरंभ हुआ, अभावों और संघर्षों के ऐसे कई मोड़ आए जब श्री तिवारी अंदर से टूटने लगे ऐसे समय में भोपाल रंगमंच के कलाकार आलोक चटर्जी ने उनका हौसला बढ़ाया और उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लेने के लिए दिल्ली भेजा, लेकिन वहां भी दखिला नहीं मिल पाया, ऐसे समय में निराश भगवान तिवारी को रॉबिन दास की छत्रछाया में एक्टिंग को निखारने का मौका मिला, करीब चार साल खुद को अभिनय कला में झोंक देने के बाद ये नतीजा निकला की अब भगवान तिवारी अभिनय कलाजगत की हर बारीकियों के खिलाड़ी बन गए, और अब उन्होंने मुंबई का रास्ता अपनाया, जहां पर रहने और खाने की समस्या से जूझते हुए उन्होंने धैर्य को नहीं खोया, और कुछ सालों में ही उन्हें रोल मिलने लगे. शुरुआत हुई टीवी सीरियल से और श्री तिवारी ने डीडी-1 के धारावाहिक शिकवा में इंस्पेक्टर के किरदार हसन से अपने अॉन स्क्रीन करियर की शुरुआत की. इसके बाद तो टीवी सीरियल में भी बड़े-बड़े चैनल्स जैसे स्टारप्लस, सहारावन, ज़ीटीवी, कलर्स, डीडी मेट्रो, और लाइफ ओके के धारावाहिकों में श्री तिवारी ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया. इसी के साथ भगवान तिवारी की एक्टिंग की भूख और बढ़ी. श्री तिवारी ने बॉलीवुड में अभिनय की शुरुआत संजय दत्त के साथ ‘दस’ फ़िल्म से की, इसके बाद मारुति मेरा दोस्त, अल्लाह के बंदे, अ वेडनेसडे, स्पेशल 26, कमांडो, 21 तोपों की सलामी, तेवर, फैंटम, रणभूमि, हनी बनी, मसान, मदारी में भी उन्होंने शानदार अभिनय किया।
भगवान तिवारी ने ‘मसान’ फ़िल्म में दमदार पुलिस ऑफिसर का रोल निभाकर अपनी प्रतिभा का परिचय ऐसा दिया कि ‘मसान’ फ़िल्म को कान्स फिल्म समारोह में 15 मिनट के स्टैंडिंग ओबेशन के साथ 2 अवॉर्ड भी मिले, ‘मसान’ फ़िल्म भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे सफल फिल्मों की पहली पंक्ति में शामिल हो गई। इसके बाद हाल ही में शाहरुख खान तथा नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के साथ रईस फ़िल्म में भी श्री तिवारी ने अपनी कला का जौहर दिखाया है।
भगवान तिवारी ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ फिल्म “बाबूमोशाय बन्दूकबाज़” में एक पुलिस अफसर के क़िरदार में जान फूंक दी है, अगर आपको भी अपने सपनों को हकीकत में तब्दील करना है तो बस भगवान तिवारी की तरह खुद के प्रति समर्पित और लक्ष्य तक पहुंचने का ज़ज्बा अपने अंदर पैदा करिए फिर देखिए सफलता कैसे आपके कदमों को चूमती है।
एक छोटे से सरगुजा जिले से दृढ़संकल्पित भगवान तिवारी ने पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है, हमें गर्व है कि ऐसे बहुमुखी प्रतिभा और अभिनय के धनी भगवान तिवारी छत्तीसगढ़ की माटी में जन्में हैं।