कार्यक्रम का संदर्भ
11 अगस्त 2018… और मौका था लाइक शेयर कमेंट के 29वें संस्करण का..इस बार लाइक शेयर कमेंट के मुख्य अतिथि थे ”बंच ऑफ फूल्स” हिंदी में कहे तो मूर्खों का झुंड..साथ में मौजूद थे कॉन्सोल समूह के संस्थापक, सीईओ और कॉन्सोलर्स..”बंच ऑफ फूल” ये एक गैर सरकारी सामाजिक संस्था है..जिसका मकसद है सफाई को लेकर लोगों को जागरुक करना..इस टीम में अभी 7 सदस्य हैं..सतीश भुवल्का ने इस ग्रुप की स्थापना की थी..आज ”बंच ऑफ फूल्स” ने सफाई को लेकर जो काम किया है..उसे देश ही नहीं विदेश में भी सराहना मिली..20 कंसोलर्स के सामने सतीश भुवल्का ने अपने ग्रुप के सफर को साझा किया..
संस्करण के मुख्य अंश
”बंच ऑफ फूल्स” ने जब सफाई अभियान की शुरुआत की थी..तो लोग इन्हें सिरफिरा कहते थे..जो किसी गंदे स्थान को हफ्ते में एक दिन अपनी टीम के साथ साफ करते और उस जगह में पेंटिंग करके चले जाते..इस पेंटिंग में एक संदेश भी होता..लेकिन हकीकत में ये टीम उस जगह को साफ ही नहीं कर रही होती बल्कि उस जगह को गंदा करने वाले लोगों को ये संदेश भी देना चाहती थी, कि जगह को आपने गंदा किया है वो इतनी साफ और खूबसूरत भी हो सकती है..इसलिए इसके बाद आपने इस जगह या किसी और जगह को गंदा किया तो जरूर सोचें कि ये पहले साफ रही होगी..इसी उद्देश्य के साथ 2 नवंबर 2014 को ”बंच ऑफ फूल्स” की स्थापना की गई..7 दोस्तों ने मिलकर स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरणा ली..जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया था..शुरुआत में इस ग्रुप के सामने कोई प्लान नहीं था..न ही कोई लक्ष्य कि कब क्या और कैसे करना है..लेकिन जागरूकता फैलाने का उद्देश्य स्पष्ट था। ये उद्देश्य था कैसे लोगों को सफाई के लिए प्रेरित किया जाए.लिहाजा ”बंच ऑफ फूल्स” ने प्लानिंग की..वो हफ्ते के एक दिन शहर के किसी गंदे स्पॉट को चुनकर उसकी सफाई करते..इस सफाई अभियान में वो उस जगह पर रहने वाले लोगों को भी शामिल करते ताकि उन्हें सफाई के प्रति जागरुक किया जा सके..इस ग्रुप ने कई जगहों जैसे पार्क, मलीन बस्ती, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में जाकर नुक्कड़ नाटक किया..शहर को जागरुक करने के लिए गेम्स और ट्रेजर हंट जैसे कार्यक्रम चलाए..ताकि लोगों को लगे कि यदि सफाई के प्रति वो जागरुक है..तो दूसरा व्यक्ति भी जागरुक होगा..यानी यदि आपने खुद को बदल लिया तो ये दुनिया खुद-ब-खुद बदल जाएगी…
जिन्दगी का अहम मोड़
बंच ऑफ फूल्स ने सफाई का काम तो बहुत किया..लेकिन लोगों समेत किसी भी बड़े वर्ग का ध्यान इन तक नहीं जा रहा था..कभी-कभी इस ग्रुप के वॉलिंटियर्स के मन में भी हताशा होती कि आखिर क्यों इनके काम को सराहा नहीं जा रहा..लेकिन कहते हैं न कि सच्चे मन से की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती..लिहाजा बंच ऑफ फूल्स की इस मेहनत पर भी किसी की नजर थी..भले ही देश की मीडिया या नेताओं ने इस ग्रुप को न जाना हो..लेकिन सात समंदर पार एक फ्रांसीसी समाचार पत्र में बंच ऑफ फूल्स की इस मेहनत को जगह मिली…जिसके बाद ये पूरी दुनिया में फेमस हुए और आखिरकार भारत की मीडिया मंडली ने भी ”बंच ऑफ फूल्स” को अपने अखबारों और टीवी चैनल्स में जगह देनी शुरु कर दी..इस वाक्ये को साझा करते हुए भुवल्का ने कहा कि “आप कभी नहीं जानते, दुनिया का कौन सा हिस्सा आपको देख रहा है। बस अपना काम करते रहें और मेहनत का अनुसरण करें। आज ”बंच ऑफ फूल्स” की टीम को सरकार और प्रशासन दोनों ही खुलकर समर्थन कर रहे हैं.क्योंकि मकसद एक है कि कैसे सफाई रखी जाए..
सेशन के बाद प्रतिक्रिया
लाइक शेयर कमेंट के संस्करण में ”बंच ऑफ फूल्स” का संस्थापक भुवल्का ने कंसोलर्स के कई सवालों के जवाब दिए..भुवल्का ने बताया कि कैसे उन्हें अपने इस अभियान में रुकावटें मिली, लोगों को कई बार समझाने के बाद भी उन्होंने नहीं सुधरने की कसमें खाई..उनके काम को सराहना देने के बजाए ग्रुप का मजाक उड़ाया..बावजूद इसके न तो ग्रुप का उद्देश्य डगमगाया और न ही लक्ष्य..इस ग्रुप को काम करते रहने के लिए उनके परिवार वालों ने भी खूब समर्थन किया..संस्थापक और समूह अब सफाई के काम के बाद इसे बड़ा आकार देने की योजना बना रहे हैं..ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस महायज्ञ में शामिल किया जा सके..जिसमे आहूति सिर्फ श्रम की होगी और वरदान में मिलेगा स्वच्छ और स्वस्थ्य भारत.. ”बंच ऑफ फूल्स ग्रुप” की तस्वीरों और स्मृति चिन्ह की प्रस्तुति के साथ लाइक शेयर कमेंट के 29वें संस्करण का समापन हुआ।