लाइक_शेयर_कमेंट अपने उद्देश्य की ओर आगे बढ़ते हुए अब नॉलेज शेयरिंग यानी जानकारियों के आदान-प्रदान का एक अनूठा मंच बन चुका है. इस शानदार पहल की आठवीं कड़ी के मेहमान थे श्री के.के. नायक, प्रबंध संपादक, दैनिक भास्कर. ऊर्जावान व्यक्तित्व के धनी, प्रखरवक्ता श्री केके नायक का रेडियो अनाउंसर से लेकर फार्मा क्षेत्र होते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ज़ी न्यूज छत्तीसगढ़ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के तौर पर कार्य और वर्तमान में देश के सबसे प्रतिष्ठित समूहों में से एक दैनिक भास्कर, छत्तीसगढ़ के प्रबंध संपादक की जिम्मेदारी संभालने तक का सफ़र बेहद रोचक और प्रेरणादायी है. श्री नायक ने अपने कार्यक्षेत्र के अनुभवों को कंसोल ग्रुप के कार्यक्रम लाइक-शेयर-कमेंट के 8वें एपिसोड में साझा किया. अपनी बातचीत में विशेष रूप से उन्होंने प्री-प्रीपरेशन और पोस्ट एनालिसिस पर बात करते हुए युवाओं के लिए बहुत से महत्वपूर्म टिप्स दिए.
अपने कार्य को उत्कृष्ट स्वरूप दें
श्री केके नायक कहते हैं कि आप जिस भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं उस कार्य को उत्कृष्टता का रूप दें. कार्य के उच्चतर स्तर तक पहुंच कर उस कार्य को प्रतिपादित करें. अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि अपना करियर शुरू करने के वक्त मेरे कंधे पर घर चलाने की जिम्मेदारी थी. बहनों की शादी से लेकर घर की जरूरतें सब कुछ मुझे ही पूरा करना था. मैंने जब अपना करियर शुरू किया तो ये नहीं पता था कि आज से 5 साल बाद कहां पहुंचना है, मैं खुद को कहां देखना चाहता हूं. जैसे बहुत से लोग अपनी पढ़ाई के बाद काम शुरू करते हैं मैंने भी वैसे ही अपने करियर की शुरूआत की. रेडियो अनाउंसर का काम करने के बाद मैं फार्मा इंडस्ट्री में बतौर एमआर (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव) के रूप में काम शुरू किया. करियर की असली जंग यहीं शुरू हुई. मैंने कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया था कि मुझे इतने सालों में यहां पहुंच जाना है, बल्की मैंने सिर्फ ये तय किया था कि मैं जब, जहां पर जो काम कर रहा हूं, उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ होकर दिखाउंगा.
आपकी आउटफिट बहुत मायने रखती है-
श्री नायक कहते हैं कि आप किसी भी जॉब या प्रोफेशन में रहें आपका प्रेजेंटेशन बहुत मायने रखता है. आमतौर पर लोग किसी खास मीटिंग के लिए विशेष तैयार होते हैं और सामान्य मुलाकात के लिए अपने कपड़ों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते. मैं जब एमआर की नौकरी करता था तो शहर के बड़े डॉक्टर से मिलने जाऊं या फिर दूर गांव के किसी जनरल प्रैक्टिश्नर के पास मेरे कपड़े बिल्कुल फॉर्मल, जूते पॉलिश किए हुए, दाढ़ी बनी हुई और चेहरे पर मुस्कान बनी रहती थी. मैंने कभी ये नहीं सोचा कि किसी गांव के डॉक्टर से मिलने के लिए जूते की जगह सैंडल में चला जाऊं. नायक कहते हैं कि इससे न सिर्फ आपका आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि आपको सामने वाले से भी स्पेशल अटेंशन मिलता है. आप दैनिक जीवन में अपने काम करने की रूटीन को बेहतर बनाईये.
प्रीपरेशन और पोस्ट एनॉलिसिस–
श्री नायक ने बताया कि किसी भी कार्य को करने से पहले उस कार्य से संबंधित सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर पूर्व में ही तैयारी कर लेनी चाहिए मगर तैयारी बहुत ही सतही या काम-चलाऊ नहीं होनी चाहिए. अपनी प्रीपरेशन में थोड़ी और मेहनत कर ज्यादा बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं. नायक इसे ही प्री-प्रीपरेशन भी कहते हैं. किसी मीटिंग के पहले अपना माइंड सेट, पहनावा और उपयुक्त टाइम का खास ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही आपको सामने वाले की पसंद-नापसंद, उसकी रुचि के विषय, वर्क या प्रोडक्ट की जानकारी होनी चाहिए. श्री नायक कहते हैं आमतौर पर लोग इतनी तैयारी तो कर लेते हैं लेकिन मीटिंग से अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए कुछ और स्किल्स की जरूरत होती है जैसे माहौल को हल्का बनाते हुए बातचीत की शुरूआत की जाए, अपने बातचीत में सामने वाले को भी इन्वॉल्व करना एक कला है, और सबसे महत्वपूर्ण सामने वाले के ‘फायदे’ यानी बेनिफिट को सही तरीके से सामने रखने से वो प्रभावित होता है. मीटिंग के पूर्व अगर इन बातों को नोट कर लिया जाए और एक बार रिहर्सल कर लेने से आपका प्रेजेंटेशन ज्यादा बेहतर हो सकता है और आप अपेक्षित परिणाम हासिल कर सकते हैं.
पोस्ट एनॉलिसिस को समझाते हुए श्री नायक कहते हैं कि आमतौर पर हमारी आदत होती है कि हम मीटिंग से आने के बाद उसके बारे गहराई से नहीं सोचते. हममें से अधिकतर लोग ये जरूर याद रखते हैं कि क्या बात हुई और सामने वाले ने क्या कहा. लेकिन हमें अपनी मीटिंग के तुरंत बाद अकेले में पेन डायरी लेकर एक ईमानदार समीक्षा करनी चाहिए और खुद से कुछ सवाल करने चाहिए जैसे कि मैंने कौन सी बात अच्छे से कही, कहां मुझसे गलती हुई, सामने वाले ने अगर कुछ सवाल पूछे, तो क्या मैंने संतोषप्रद जवाब दिया? क्या नहीं कहना था, किस बात को और बेहतर कैसे कहा जा सकता था…..इत्यादि. नायक कहते हैं कि इन सवालों का जवाब आपसे ज्यादा ईमानदारी से कोई नहीं दे सकता, इसलिए इन बातों का विश्लेषण जरूर कीजिए. जिन बातों को आपने बेहतर तरीके से रखा उसके लिए खुद की पीठ थपथपाईए और जहां-जहां आपसे चूक हुई, उन्हें याद रखें और अगली बार के लिए उसमें सुधार करें. इस तरह से आप धीरे-धीरे खुद को और बेहतर करते जाएंगे और आपको रिजल्ट भी अच्छे मिलेंगे. अपनी इस आदत को अपने दिनचर्या में शुमार करें, चाहे आप कोई प्रोफेश्नल मीटिंग में हों या अपने लोगों के बीच, प्रीपरेशन और पोस्ट एनॉलिसिस को अपनी आदत बनाकर आप ज्यादा बेहतर और बड़ी सफलताएं हासिल कर सकते हैं.
मुझसे आज भी होती हैं गलतियां-
नायक कहते हैं कि करीब 4 दशक के करियर में बहुत सी बातें सीखीं है. अनेक गलतियां करते हुए उनसे सबक सीखा है और आगे चलकर सुधारने की कोशिश की है, लेकिन इतने दिनों बाद भी मुझसे आज भी गलतियां हो जाती हैं. लेकिन अपनी गलतियों को मैं पूरी ईमानदारी से स्वीकार करता हूं और आगे चलकर उसे सुधारने की पूरी कोशिश करता हूं. श्री नायक कहते हैं कि आपकी निजी जिंदगी हो या फिर आपके कार्यक्षेत्र से जुड़े मसले हों इसके बारे में किसी भी तरह के फैसले लेने हों तो पहले आपसे जुड़े सभी तरह के लोगों को उस परिचर्चा में शामिल करें. जिससे आप एक बेहतर मार्ग में आगे बढ़ सकें.
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